सूर्य, हमारे सौरमंडल का सर्वोपरि तारा, हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। हम सभी इस विशाल ग्रह के आगे बढ़ने के लिए विचार करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कैसे हम सूर्य की गहराईयों में जा सकते हैं और इसकी रहस्यमयी प्रक्रियाओं का अध्ययन कर सकते हैं? इसी मिशन का नाम है “आदित्य-एल1″।
आदित्य-एल1 मिशन के बारे में जानने से पहले, हमें देखना होगा कि इसके पीछे किस प्रकार की यात्रा है और क्या-क्या महत्वपूर्ण घटनाएँ होने वाली हैं।
आदित्य-एल1 का आरंभ आदित्य-एल1 को लैग्रेंजियन बिन्दु 1 (एल1) तक पहुंचने में करीब चार महीने का समय लगेगा। इस दौरान यह 15 लाख किलोमीटर का सफर तय करेगा, जो कि चाँद के निकटतम पास होगा। चंद्रयान-3 की तरह, आदित्य-एल1 भी अलग-अलग कक्षा से गुजरकर अपने गंतव्य तक पहुंचेगा।
आदित्य-एल1: यह क्या है? आदित्य-एल1 मिशन एक सूर्य का अध्ययन करने वाला मिशन है, जिसे भारत ने इसरो के जरिए आयोजित किया है। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य के रहस्यमयी प्रक्रियाओं को समझना है, जैसे कि सौर कोरोना, सूर्य की तापमान वृद्धि, सौर विस्फोट, और सौर तूफान के कारण और उत्पत्ति, कोरोना और कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट, वेग और घनत्व, कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र की माप, कोरोनल मास इजेक्शन (सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोट जो सीधे पृथ्वी की ओर आते हैं) की उत्पत्ति, विकास और गति, सौर हवाएं, और अंतरिक्ष के मौसम के प्रभावित कारकों का अध्ययन करना है।
आदित्य-एल1 के प्रक्रियाएं प्रक्रियाएं होंगी:
1. प्रारंभिक कक्षा: अंतरिक्ष यान को प्रारंभ में पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
2. अण्डाकार कक्षा: फिर कक्षा को अधिक अण्डाकार बनाने वाली प्रक्रिया की जाएगी।
3. पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव से बाहर निकालना: अंतरिक्ष यान को प्रणोदन का उपयोग करके L1 बिन्दु की ओर बढ़ाया जाएगा। जैसे ही अंतरिक्ष यान लैग्रेंज बिन्दु की ओर बढ़ेगा, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव से बाहर निकल जाएगा।
4. क्रूज चरण: पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव को छोड़ने के बाद, मिशन का क्रूज चरण शुरू होगा। इस चरण में अंतरिक्ष यान को उतारने की प्रक्रिया की जाती है।
5. हेलो ऑर्बिट: मिशन के अंतिम चरण में अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिन्दु (एल1) के चारों ओर एक बड़ी हेलो कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इस तरह से लॉन्चिंग और एल1 बिन्दु के पास हेलो कक्षा में अंतरिक्ष यान की स्थापना में करीब चार महीने का वक्त गुजरेगा।
आदित्य-एल1 के घटक निम्नलिखित हैं:
1. विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी): यह पेलोड सूर्य के वायुमंडल के सबसे बाहरी भाग यानी सौर कोरोना और सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोटों यानी कोरोनल मास इजेक्शन की गतिशीलता का अध्ययन करेगा।
2. सोलर अल्ट्रा-वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी): यह पेलोड सौर प्रकाशमंडल और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेगा। इसके साथ ही, यह सौर विकिरण में होने वाले बदलावों को भी मापेगा।
3. आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसपीईएक्स) और प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए): इन पेलोड्स सौर पवन और शक्तिशाली आयनों के साथ-साथ उनके ऊर्जा वितरण का अध्ययन करेंगे।
4. सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS) और हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS): ये पेलोड विस्तृत एक्स-रे ऊर्जा रेंज में सूर्य से आने वाली एक्स-रे किरणों का अध्ययन करेंगे।
5. मैग्नेटोमीटर: यह पेलोड L1 बिन्दु पर दो ग्रहों के बीच के चुंबकीय क्षेत्र को मापने के लिए बनाया गया है।
मिशन की उद्देश्य :
आदित्य-एल1 मिशन का मुख्य उद्देश्य है सूर्य के अध्ययन करना है, और इसके साथ ही कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग करना है। इस मिशन के तहत निम्नलिखित महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं:
1. सौर कोरोना का अध्ययन: मिशन सौर कोरोना (सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी भाग) की बनावट और इसके तपने की प्रक्रिया, इसके तापमान, सौर विस्फोट और सौर तूफान के कारण और उत्पत्ति को गहराई से समझाने का उद्देश्य रखता है।
2. कोरोना और कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट: मिशन कोरोना और कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट को विशेष रूप से मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
3. वेग और घनत्व का अध्ययन: सूर्य के विकिरण के वेग और घनत्व की गहराई से जांच करने का काम मिशन का है।
4. कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र की मापन: मिशन का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य है कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र को मापना, जो सूर्य के चारों ओर वितरित होता है।
5. कोरोनल मास इजेक्शन (सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोट) की उत्पत्ति, विकास और गति का अध्ययन: सूर्य के विस्फोटों की उत्पत्ति, विकास और गति को समझने का मिशन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
6. सौर हवाएं और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन: मिशन सौर हवाओं और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारकों के अध्ययन के लिए भी डिज़ाइन किया गया है।
सारांश
आदित्य-एल1 मिशन एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य सूर्य के रहस्यमयी प्रक्रियाओं के अध्ययन करना है। इस मिशन के द्वारा सूर्य के कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रश्नों का उत्तर खोजा जाएगा, जो हमारे विज्ञानिक ज्ञान को बढ़ावा देगा और हमारे सौरमंडल की समझ में सहायक होगा
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